बाँटी है खुदा ने हर आँगन में
थोड़ी धूप ,थोड़ी छाँव ,थोड़ी पुरवाई
उलझ गये रिश्तों के आँचल में
थोड़ा रन्ज ,थोड़ी ख़ुशी ,थोड़ी बेवफाई
सच्चाई तो पानी भरती है बाजार में
थोड़ा छल ,थोड़ा कपट , थोड़ी बेहयाई
फासले रख के मिलें हर किसी से
थोड़ा अभिमान ,थोड़ा कद ,थोड़ी चतुराई
दिल भला कैसे मिले दिल से
थोड़ा प्यार ,थोड़ी वफ़ा ,थोड़ा हरजाई
कौन क़दमों में दम भरता है
थोड़ी ज़िद , थोड़ा सुरूर , थोड़ी दिल-लगाई
तुलसी का बिरवा तो है हर आँगन में
थोड़ी श्रद्धा ,थोड़ी नमी ,थोड़ी पावनाई
थोड़ी धूप ,थोड़ी छाँव ,थोड़ी पुरवाई
उलझ गये रिश्तों के आँचल में
थोड़ा रन्ज ,थोड़ी ख़ुशी ,थोड़ी बेवफाई
सच्चाई तो पानी भरती है बाजार में
थोड़ा छल ,थोड़ा कपट , थोड़ी बेहयाई
फासले रख के मिलें हर किसी से
थोड़ा अभिमान ,थोड़ा कद ,थोड़ी चतुराई
दिल भला कैसे मिले दिल से
थोड़ा प्यार ,थोड़ी वफ़ा ,थोड़ा हरजाई
कौन क़दमों में दम भरता है
थोड़ी ज़िद , थोड़ा सुरूर , थोड़ी दिल-लगाई
तुलसी का बिरवा तो है हर आँगन में
थोड़ी श्रद्धा ,थोड़ी नमी ,थोड़ी पावनाई
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मैं भी औरों की तरह , खुशफहमियों का हूँ स्वागत करती
मेरे क़दमों में भी , यही तो हैं हौसलों का दम भरतीं