कच्ची मिट्टी हूँ , तराश लो
प्याला-ए-मीना या सागरो-सुराही की तरह
अजब सी बात है , उदास है जो पीता है
रंज का जश्न मनाने की तरह
बात सीधी सी है , चाहिए बस एक नजर
रहमत की इनायत की तरह
बूँद वही चखने को , वक्त रुका बैठा है
शबे-गम की ठहरी हुई सहर की तरह
ज़र्रा-ज़र्रा उधड़ गया अपना
इक नई शक्ल में ढलने की तरह
मिट्टी हूँ , ख़्वाबों में महक जाऊँगी
बचपन के नन्हें घरौंदों की तरह
जब बात दिल से लगा ली तब ही बन पाए गुरु
1 दिन पहले
मिट्टी हूँ , ख़्वाबों में महक जाऊँगी
जवाब देंहटाएंबचपन के नन्हें घरौंदों की तरह
बस यूँ ही महक बनाए रखिये ..खूबसूरत फज़ल
शारदा जी,
जवाब देंहटाएंभावमय प्रस्तुति है......कुछ शेर अच्छे बन पड़े हैं |
अद्भुत रचना...बधाई
जवाब देंहटाएंनीरज
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 01- 02- 2011
जवाब देंहटाएंको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.uchcharan.com/
मन को छू लेने वाली ग़ज़ल...
जवाब देंहटाएंमिट्टी हूँ , ख़्वाबों में महक जाऊँगी
जवाब देंहटाएंबचपन के नन्हें घरौंदों की तरह
वाह ....
बेहतरीन भावाभिव्यक्ति....
मिट्टी हूँ , ख़्वाबों में महक जाऊँगी
जवाब देंहटाएंबचपन के नन्हें घरौंदों की तरह
Behad pyaree aur nafees panktiyan!
अतिसुन्दर...आभार
जवाब देंहटाएंज़र्रा-ज़र्रा उधड़ गया अपना
जवाब देंहटाएंइक नई शक्ल में ढलने की तरह
मिट्टी हूँ , ख़्वाबों में महक जाऊँगी
बचपन के नन्हें घरौंदों की तरह
bohot khoobsurat alfaaz hain sharda ji.....bohot khoob
मिट्टी हूँ , ख़्वाबों में महक जाऊँगी
जवाब देंहटाएंबचपन के नन्हें घरौंदों की तरह
सुन्दर अल्फ़ाज़ों के साथ उम्दा गज़ल्।
मिट्टी हूँ , ख़्वाबों में महक जाऊँगी
जवाब देंहटाएंबचपन के नन्हें घरौंदों की तरह ।
बहुत ही सुन्दर भावमय करते शब्द ।
मिट्टी हूँ , ख़्वाबों में महक जाऊँगी
जवाब देंहटाएंबचपन के नन्हें घरौंदों की तरह...
बहुत सुन्दर गजल..बहुत भावपूर्ण .
सुन्दर, बहुत भावपूर्ण गजल..
जवाब देंहटाएंमन को छू लेने वाले भावोँ की प्रस्तुति । अद्भुत रचना । आभार शारदा जी !
जवाब देंहटाएं" कुछ फूल पत्थर के भी हुआ करते हैँ...........गजल "
अमल और धवल भाव से लिखी गय़ी रचना मन के संवेदनसील तारों को झंकृत कर गयी।
जवाब देंहटाएंमिट्टी हूँ , ख़्वाबों में महक जाऊँगी
जवाब देंहटाएंबचपन के नन्हें घरौंदों की तरह
wah.bahut sunder.
सुन्दर, बहुत भावपूर्ण गजल| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंसुन्दर, बहुत भावपूर्ण गजल..
जवाब देंहटाएंमिट्टी हूँ , ख़्वाबों में महक जाऊँगी
जवाब देंहटाएंबचपन के नन्हें घरौंदों की तरह
शारदाजी बेहतरीन पंक्तियाँ रची हैं.....हृदयस्पर्शी
बहुत ही सुन्दर ...बधाई
जवाब देंहटाएं--------
मेरी बदमाशियां......
http://rimjhim2010.blogspot.com/
खूबसूरत अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंmitti ki sondhi sodhi mahak bachpan ki gali se gujarti hui yaha taq aa gai :) wah kya baat hai...
जवाब देंहटाएंmere blog par aa kar mera hausla badhaya aapne,iske liye bhi bahot bahot dhanyawaad.
बूँद वही चखने को , वक्त रुका बैठा है
जवाब देंहटाएंशबे-गम की ठहरी हुई सहर की तरह
ज़िन्दगी का फ़लसफ़ा इस एक शेर में समेट दिया है आपने !
मिट्टी हूँ, ख़्वाबों में महक जाऊँगी
जवाब देंहटाएंबचपन के नन्हें घरौंदों की तरह।
वाह, बहुत ख़ूब।
मिट्टी की महक जीवन भर साथ रहनी चाहिए।
अच्छी रचना।
अब सभी ब्लागों का लेखा जोखा BLOG WORLD.COM पर आरम्भ हो
जवाब देंहटाएंचुका है । यदि आपका ब्लाग अभी तक नही जुङा । तो कृपया ब्लाग एड्रेस
या URL और ब्लाग का नाम कमेट में पोस्ट करें ।
http://blogworld-rajeev.blogspot.com
SEARCHOFTRUTH-RAJEEV.blogspot.com
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मिट्टी हूँ , ख़्वाबों में महक जाऊँगी
जवाब देंहटाएंबचपन के नन्हें घरौंदों की तरह
बेहतरीन पंक्तियाँ
मिट्टी हूँ , ख़्वाबों में महक जाऊँगी
जवाब देंहटाएंबचपन के नन्हें घरौंदों की तरह
बहुत खूब ......!!