कभी चंदा से की बातें ,
सुहानी सी मुलाकातें
उतरे फिर वही मौसम
सीने में जगमगाते-जगमगाते
घड़ी दो घड़ी बैठो
के जी जाएँ मुट्ठी भर सौगातें-सौगातें
सुलझ ही जाएगा रिश्ता
जो मन है सुलझाते-सुलझाते
मेरे इक नाम की तख्ती,
मेरी ख़ुशबू ,हिना मेरी
तेरे अँगना को महकाए
तो जी जाते जी जाते