तेरी हर बात बहाने से शुरू होती है
कैसे पायेगी सिला
उथली है , उड़ी होती है
ठगे से देखते हैं , पलकें झुकती भी नहीं
कैसे करते हम गिला
वफाओं का बाग़ मिलता नहीं
रूठा रूठा सा चमन
खुशबू का ख्वाब खिलता नहीं
तेरी हर बात बहाने से शुरू होती है
देखें किस ओर ले जाती है ये
तेरे झूठे बहानों में
मुझसे मिलने का सच भी तो छुपा होता है
तेरी हर बात....
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आवाज में
कैसे पायेगी सिला
उथली है , उड़ी होती है
ठगे से देखते हैं , पलकें झुकती भी नहीं
कैसे करते हम गिला
वफाओं का बाग़ मिलता नहीं
रूठा रूठा सा चमन
खुशबू का ख्वाब खिलता नहीं
तेरी हर बात बहाने से शुरू होती है
देखें किस ओर ले जाती है ये
तेरे झूठे बहानों में
मुझसे मिलने का सच भी तो छुपा होता है
तेरी हर बात....
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आवाज में


13 टिप्पणियां:
bahut badhiya rachana . abhaar.
bahot hi khubsurat kavita ke liye aapko dhero badhaayee...
arsh
khubsurat kavita
हम सब एक विशाल लोकतांत्रिक देश के वासी हैं। ऐसे में हमारा फर्ज बनता है कि हम सब अपने-अपने मत का प्रयोग करें। क्या आप प्रथम दो चरणों में हुए मतदान में मतदाता रहे थे? यदि हाँ तो क्या आपने वोट दिया? यदि आपने मतदान किया तो बहुत ही अच्छी बात है और यदि नहीं किया था तो कम से कम आने वाले चरणों में लोगों को मतदान के लिए प्रेरित करके इस गलती को सुधारने का प्रयास करें।
यदि आप आने वाले चरणों में मतदाता हैं तो हर हालत में मतदान करें। यह हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए अनिवार्य है। इससे देश को विकास की राह मिलेगी। मतदान अवश्य करिए और फिर देखिए कि जिस अव्यवस्था को आप कोसते हैं वह आपको सुधरती दिखेगी।
मतदान स्वयं करें तथा अन्य लोगों को भी प्रेरित करें।
धन्यवाद
जागो वोटर जागो
रायटोक्रेट कुमारेन्द्र
बहुत भाव पूर्ण रचना है।बधाई।
बढ़िया।
घुघूती बासूती
शारदा अरोरा जी।
बात ने बहुत प्रभावित किया।
बधाई।
तेरे झूठे बहानों में
मुझसे मिलने का सच भी तो छुपा होता है ...शारदा जी मन की बात कविता के बहाने ...कुछ सच्चे फसाने...कुछ झूटे बहाने ... कविता के अंदाज मैं ..........अच्छी लगी ये कविता .मेरी बधाई स्वीकार करें
waah ...prabhavshali
तेरी हर बात बहाने से शुरू होती है
देखें किस ओर ले जाती है ये
तेरे झूठे बहानों में
मुझसे मिलने का सच भी तो छुपा होता है
तेरी हर बात
दिलचस्प.....एक अजीब सी रवानगी....
आप का ब्लाग बहुत अच्छा लगा।आप मेरे ब्लाग
पर आएं,आप को यकीनन अच्छा लगेगा।
बेहतरीन...... वाह
shuddh kavita!
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