शुक्रवार, 1 जुलाई 2011

तेरे आने से

तेरे काँधे पे रखूँ सर और
जिन्दगी साजे-ग़ज़ल हो जाये

जिन्दगी कड़वी नहीं मीठी सी
किन्हीं दुआओं का फल हो जाये

यूँ ही कहते नहीं आफताब तुम्हें
तेरी आँखों की चमक मेरा नूरे-महल हो जाये

जिन्दगी यूँ भी बहुत मुश्किल थी
तेरे आने से बहारों को खबर हो जाये

कैसे कह दूँ के है इन्तिज़ार नहीं
तेरी साँसों की महक जिन्दगी का सबब हो जाये

किसने देखा शम्मा को बूँद बूँद मिटते हुए
जल के परवाना अमर हो जाये

20 टिप्‍पणियां:

  1. जिन्दगी कड़वी नहीं मीठी सी
    किन्हीं दुआओं का फल हो जाये
    बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।

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  2. कैसे कह दूँ के है इन्तिज़ार नहीं
    तेरी साँसों की महक जिन्दगी का सबब हो जाये

    बहुत सुंदर रचना

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  3. कैसे कह दूँ के है इन्तिज़ार नहीं
    तेरी साँसों की महक जिन्दगी का सबब हो जाये
    बहुत खुबसूरत शेर मुबारक हो

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  4. बहुत खुब। शानदार रचना। आभार।

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  5. जिन्दगी यूँ भी बहुत मुश्किल थी
    तेरे आने से बहारों को खबर हो जाये
    bahut shandar prastuti.badhai.

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  6. जिन्दगी यूँ भी बहुत मुश्किल थी
    तेरे आने से बहारों को खबर हो जाये

    कैसे कह दूँ के है इन्तिज़ार नहीं
    तेरी साँसों की महक जिन्दगी का सबब हो जाये

    किसने देखा शम्मा को बूँद बूँद मिटते हुए
    जल के परवाना अमर हो जाये
    Har lafz chuninda! Har pankti behtareen!

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  7. जिन्दगी यूँ भी बहुत मुश्किल थी
    तेरे आने से बहारों को खबर हो जाये

    सुंदर अभिव्यक्ति.....

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  8. जिन्दगी कड़वी नहीं मीठी सी
    किन्हीं दुआओं का फल हो जाये

    बहुत बढ़िया शेर...

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  9. aaj pehli baar aapke blog per ayee hoon ....
    sabhi rachnayein sunder hai

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  10. जिन्दगी कड़वी नहीं मीठी सी
    किन्हीं दुआओं का फल हो जाये

    आपकी सुन्दर भावाभिव्यक्ति से मन प्रसन्न हो गया.
    आपकी लेखनी प्यार का मीठापन घोले,यही दुआ है.

    मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.आपका स्वागत है.

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  11. जिन्दगी यूँ भी बहुत मुश्किल थी
    तेरे आने से बहारों को खबर हो जाये

    कैसे कह दूँ के है इन्तिज़ार नहीं
    तेरी साँसों की महक जिन्दगी का सबब हो जाये

    bahut sunder rachna.............

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  12. ग़ज़ल लिखने की लाजवाब प्रेरणा मिली है आपको शारदा जी,
    तेरे काँधे पे रखूँ सर और
    जिन्दगी साजे-ग़ज़ल हो जाये
    क्या बात है, बहुत अच्छी लाइन बन पड़ी है ये...

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मैं भी औरों की तरह , खुशफहमियों का हूँ स्वागत करती
मेरे क़दमों में भी , यही तो हैं हौसलों का दम भरतीं