शुक्रवार, 20 सितंबर 2013

बहना तू भाई को जाना न भूल

एक डाल के दोनों फूल , बहना तू भाई को जाना न भूल 
आन है तेरी वो,शान है तेरी वो,चुन लेगा वो तेरे पथ के सारे शूल 

१. समता के इस युग ने बेशक,मिटा दिया राखी,भाई-दूज का मोल 
बिन रँगों के जीवन फीका , ये रिश्ते तो हैं अनमोल 

२. दूर हुए तो आँख के तारे , पास हुए तो मिलते न किनारे 
जीवन की ये डगर हमेशा , माँगे मीठे दो ही बोल 

३. उतना ही विस्तार है बाहर , जितनी जड़ में नमी है तेरे 
प्यार की राह तो इकतरफा है , धरती जाने इसका मोल 

एक डाल के दोनों फूल , बहना तू भाई को जाना न भूल 
आन है तेरी वो,शान है तेरी वो,चुन लेगा वो तेरे पथ के सारे शूल 

10 टिप्‍पणियां:

अनुपमा पाठक ने कहा…

जीवन की ये डगर हमेशा , माँगे मीठे दो ही बोल
***
बहुत सुन्दर!
प्यारी रचना!

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

bhai ki pyari si bahan :)
sundar rachna...

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत खूब,सुंदर रचना !

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मेरा मन पंछी सा ने कहा…

बहुत ही सुन्दर रचना..
:-)

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी का लिंक कल शनिवार (21-09-2013) को "एक भीड़ एक पोस्टर और एक देश" (चर्चा मंचःअंक-1375) पर भी होगा!
हिन्दी पखवाड़े की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

बेनामी ने कहा…

एक डाल के दोनों फूल , बहना तू भाई को जाना न भूल

sateek ..sundar abhivyakti .aabhar

दिगम्बर नासवा ने कहा…

एक डाल के दोनों फूल , बहना तू भाई को जाना न भूल
आन है तेरी वो,शान है तेरी वो,चुन लेगा वो तेरे पथ के सारे शूल ...
भाई के प्रति मन के ऐसे भाव हर बहन के होते हैं ... यही तो वो प्यार है जो निस्वार्थ बहता है सरिता की तरह ...

Onkar ने कहा…

सुन्दर रचना

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…



☆★☆★☆


एक डाल के दोनों फूल , बहना तू भाई को जाना न भूल
आन है तेरी वो,शान है तेरी वो,चुन लेगा वो तेरे पथ के सारे शूल

बहुत सुंदर सरस रचना है...
वाऽहऽऽ…!
आदरणीया शारदा अरोरा जी
भाई-बहन के पवित्र स्नेहिल रिश्ते पर आधारित आपकी इस रचना से मन भीग गया...
आभार सुंदर रचना के लिए ...
आपकी लेखनी से सदैव सुंदर श्रेष्ठ सार्थक सृजन होता रहे...

शुभकामनाओं-मंगलकामनाओं सहित...
-राजेन्द्र स्वर्णकार

शारदा अरोरा ने कहा…

Apki tippni se bhi man bag bag ho gya , Rajnder ji , bahut bahut dhanyvad.