शुक्रवार, 14 फ़रवरी 2014

बर्फ है के चाँदनी है

वेलेन्टाइन डे की रात , प्रकृति ने बर्फ़बारी से नहला दिया सरोवर नगरी को , कुछ इस तरह .. 

बहुत इन्तज़ार करवाती हो तुम
कितनी ही बार खिड़की से झाँक कर देखा
और जब आती हो तो दबे पाँव ,
आहट भी नहीं करतीं
सब तरफ बिछ जाती हो 
बिल्कुल ज़िन्दगी की ही तरह
अब तुम्हारी चमक से
सारी दुनिया बदली हुई सी लगती है
ये मौसम की मेहरबानी है
सारा शहर पेड़-पौधे तेरे रँग में रँगे हुए से लगते हैं
बर्फ है के चाँदनी है ....सारी कायनात नहाई हुई सी लगती है
भीगी-भीगी मेरे मन की हालत की ही तरह

12 टिप्‍पणियां:

  1. बर्फ है के चाँदनी है ....सारी कायनात नहाई हुई सी लगती है
    भीगी-भीगी मेरे मन की हालत की ही तरह
    ..मन की बात बहुत सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया है आपने
    बर्फवारी के बाद बदली प्रकृति के रंग खुली आँखों से देखना अपने आप में अवर्णनीय है ..
    बहुत सुन्दर

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  2. बहुत ही सार्थक अभिव्यक्ति।

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  3. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन दादासाहब की ७० वीं पुण्यतिथि - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  4. बहुत खूब ... रात की तरह दबे पांव ... चांदनी के साथ उसका आना ... लाजवाब ...

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  5. दूध सा सफ़ेद चाँदनी में रजनी का खुबसूरत चित्रण !
    latest post प्रिया का एहसास

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  6. बहुत ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति...

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  7. मौसम का असर लिए भाव भरी रचना ..चित्र पूरक लगे.

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  8. अहसासो को बहुत ही संजीदगी से पिरोया है …

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मैं भी औरों की तरह , खुशफहमियों का हूँ स्वागत करती
मेरे क़दमों में भी , यही तो हैं हौसलों का दम भरतीं