चाँद उगा आसमान में
मौसम सारा निखरा आया
मुट्ठी भर रोशनी लेकर
चाँदी-चाँदी बिखरा आया
उछलें हैं लहरें , मिलने को
सागर में यूँ तूफ़ान आया
टूटें न किनारे अरमाँ के
ऐसे ही ये मेहमान आया
दल-बल अपने साथ लिये
तारों की थाली भर लाया
चमकें हैं सितारे आंखों में
साजिश ये कैसी कर लाया
ग़ज़ल 427[ 76 फ़] ; नशा दौलत का है उसको--
5 घंटे पहले
Waah ! shbdon ke madhyam se sundar chitra kheencha hai aapne.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना है...
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