गुरुवार, 3 दिसंबर 2009

मैं वो बात नहीं छेड़ूँगी

मैं वो बात नहीं छेड़ूँगी , वो तेरा दिल दुखायेगी
मेरा क्या है , वो तेरे जख्मों को छेड़ जायेगी

बाद मुद्दत के सही , पुरवाई तो चली
थाम लम्हों को , किस्मत तो सँवर जायेगी

मोड़ तो आते हैं , सफर में भी कई
रुक गए तो , तन्हाई भी ठहर जायेगी

भूलता कोई नहीं , रहे अन्जान बेशक
बातों-बातों में , थोड़ी तबियत तो बहल जायेगी

10 टिप्‍पणियां:

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

मोड़ तो आते हैं , सफर में भी कई
रुक गए तो , तन्हाई भी ठहर जायेगी

भूलता कोई नहीं , रहे अन्जान बेशक
बातों-बातों में , थोड़ी तबियत तो बहल जायेगी

Ati Sundar !

Arshia Ali ने कहा…

बहुत ही सुंदर भाव हैं।
बधाई।
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सांसद/विधायक की बात की तनख्वाह लेते हैं?
अंधविश्वास से जूझे बिना नारीवाद कैसे सफल होगा ?

दिगम्बर नासवा ने कहा…

मैं वो बात नहीं छेड़ूँगी , वो तेरा दिल दुखायेगी
मेरा क्या है , वो तेरे जख्मों को छेड़ जायेगी...

बहुत अछा शेर है ......... ऐसी बात क्या करनी जो किसी का दिल दुखाए ......
पूरी ग़ज़ल लाजवाब आयी ......

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' ने कहा…

मुझे तो ये शेर सबसे ज्यादा पसंद आया है....
बाद मुद्दत के सही पुरवाई तो चली
थाम लम्हों को किस्मत तो संवर जायेगी
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद

Amrendra Nath Tripathi ने कहा…

ये पंक्तियाँ बड़ी सुन्दर बन गयी है ...
'' मोड़ तो आते हैं , सफर में भी कई
रुक गए तो , तन्हाई भी ठहर जायेगी ''
सहज अउर प्रभावमय ...
............. आभार .................

Yogesh Verma Swapn ने कहा…

मोड़ तो आते हैं , सफर में भी कई
रुक गए तो , तन्हाई भी ठहर जायेगी


bahut khoob, badhaai.

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

मोड़ तो आते हैं , सफर में भी कई
रुक गए तो , तन्हाई भी ठहर जायेगी
बहुत सुन्दर रचना.

कविता रावत ने कहा…

मैं वो बात नहीं छेड़ूँगी , वो तेरा दिल दुखायेगी
मेरा क्या है , वो तेरे जख्मों को छेड़ जायेगी...
saral sabdon mein sundar bhavon ko piroya hai aapne, badhai

कडुवासच ने कहा…

भूलता कोई नहीं , रहे अन्जान बेशक
बातों-बातों में , थोड़ी तबियत तो बहल जायेगी
... बहुत खूब !!!!

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत ही अच्‍छी कविता लिखी है
आपने काबिलेतारीफ बेहतरीन


SANJAY KUMAR
HARYANA
http://sanjaybhaskar.blogspot.com