मंगलवार, 15 दिसंबर 2009

मिट्टी में मिल जाने के बाद

रँग लाती है हिना , पत्थर पे पिस जाने के बाद
खुशबू आती है यहाँ , वजूद मिट जाने के बाद

फूलों से पूछो सोये कितना काँटों पर , डाल पर आने के बाद
भूल जायेगी चुभन भी , समय बदल जाने के बाद

ऐ मेरे दिल क्या पायेगा तन्हाई में , अपनों से बिछड़ जाने के बाद
फिर से छायेंगी बहारें , पतझड़ गुजर जाने के बाद

मन्त्र बन जाती है उमँग , कामना के स्वरों से मिल आने के बाद
अँकुरित होता है बीज सदा , मिट्टी में मिल जाने के बाद

12 टिप्‍पणियां:

vandana gupta ने कहा…

bahut hi sundar khyal.

सदा ने कहा…

अँकुरित होता है बीज सदा , मिट्टी में मिल जाने के बाद, बहुत ही सुन्‍दर भावों से सजे यह शब्‍द लाजवाब ।

M VERMA ने कहा…

फिर से छायेंगी बहारें ,
पतझड़ गुजर जाने के बाद
कुछ पलों का इंतजार पतझड गुजर ही जायेगा

Kusum Thakur ने कहा…

बहुत खूब ...

नीरज गोस्वामी ने कहा…

अँकुरित होता है बीज सदा , मिट्टी में मिल जाने के बाद

सच्ची बात...बहुत अच्छी रचना...बधाई..
नीरज

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

उक्तियों के प्रयोग से गजल बहुत प्रभावशाली हो गई है!

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' ने कहा…

शारदा जी,
फिर से छायेंगी बहारें ,
पतझड़ गुजर जाने के बाद
ये पंक्ति सबसे अच्छी लगी
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत खूब .जाने क्या क्या कह डाला इन चंद पंक्तियों में
SANJAY KUMAR
HARYANA
http://sanjaybhaskar.blogspot.com

कविता रावत ने कहा…

फूलों से पूछो सोये कितना काँटों पर , डाल पर आने के बाद
भूल जायेगी चुभन भी , समय बदल जाने के बाद
Sahi kaha aapne samay badal jaane par chubhan chali hi jati hai.......

Pushpendra Singh "Pushp" ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना
बहुत बहुत धन्यवाद

Creative Manch ने कहा…

मन्त्र बन जाती है उमँग,
कामना के स्वरों से मिल आने के बाद
अँकुरित होता है बीज सदा,
मिट्टी में मिल जाने के बाद


बहुत ही सुन्‍दर
प्रभावशाली गजल
बधाई


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