रँग लाती है हिना , पत्थर पे पिस जाने के बाद
खुशबू आती है यहाँ , वजूद मिट जाने के बाद
फूलों से पूछो सोये कितना काँटों पर , डाल पर आने के बाद
भूल जायेगी चुभन भी , समय बदल जाने के बाद
ऐ मेरे दिल क्या पायेगा तन्हाई में , अपनों से बिछड़ जाने के बाद
फिर से छायेंगी बहारें , पतझड़ गुजर जाने के बाद
मन्त्र बन जाती है उमँग , कामना के स्वरों से मिल आने के बाद
अँकुरित होता है बीज सदा , मिट्टी में मिल जाने के बाद
खुशबू आती है यहाँ , वजूद मिट जाने के बाद
फूलों से पूछो सोये कितना काँटों पर , डाल पर आने के बाद
भूल जायेगी चुभन भी , समय बदल जाने के बाद
ऐ मेरे दिल क्या पायेगा तन्हाई में , अपनों से बिछड़ जाने के बाद
फिर से छायेंगी बहारें , पतझड़ गुजर जाने के बाद
मन्त्र बन जाती है उमँग , कामना के स्वरों से मिल आने के बाद
अँकुरित होता है बीज सदा , मिट्टी में मिल जाने के बाद


12 टिप्पणियां:
bahut hi sundar khyal.
अँकुरित होता है बीज सदा , मिट्टी में मिल जाने के बाद, बहुत ही सुन्दर भावों से सजे यह शब्द लाजवाब ।
फिर से छायेंगी बहारें ,
पतझड़ गुजर जाने के बाद
कुछ पलों का इंतजार पतझड गुजर ही जायेगा
बहुत खूब ...
अँकुरित होता है बीज सदा , मिट्टी में मिल जाने के बाद
सच्ची बात...बहुत अच्छी रचना...बधाई..
नीरज
उक्तियों के प्रयोग से गजल बहुत प्रभावशाली हो गई है!
शारदा जी,
फिर से छायेंगी बहारें ,
पतझड़ गुजर जाने के बाद
ये पंक्ति सबसे अच्छी लगी
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।
बहुत खूब .जाने क्या क्या कह डाला इन चंद पंक्तियों में
SANJAY KUMAR
HARYANA
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
फूलों से पूछो सोये कितना काँटों पर , डाल पर आने के बाद
भूल जायेगी चुभन भी , समय बदल जाने के बाद
Sahi kaha aapne samay badal jaane par chubhan chali hi jati hai.......
बहुत सुन्दर रचना
बहुत बहुत धन्यवाद
मन्त्र बन जाती है उमँग,
कामना के स्वरों से मिल आने के बाद
अँकुरित होता है बीज सदा,
मिट्टी में मिल जाने के बाद
बहुत ही सुन्दर
प्रभावशाली गजल
बधाई
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