अँधेरे से जब मैं गुजरूँ
तुम श्याम देख लेना
ढूँढे से भी मैं पाऊँ
जब कोई किरण कहीं ना
तुम लाज मेरी रखना
तपतीं हैं मेरी राहें
साया न सिर पे पाऊँ
जब घाम से मैं गुजरूँ
तुम लाज मेरी रखना
विरहन सी मैं भटकती
टकराती फिर रही हूँ
जब श्याम वन से गुजरूँ
तुम लाज मेरी रखना
तुझको खबर रही है
नजरों से है क्यों ओझल
इस दौर से मैं गुजरूँ
विष्वास मेरा रखना
अँधेरे से जब मैं गुजरूँ
तुम श्याम देख लेना
ढूँढे से भी मैं पाऊँ
जब कोई किरण कहीं ना
तुम लाज मेरी रखना
किताब मिली - शुक्रिया - 22
1 दिन पहले
कान्हा किसी को निराश नहीं करते...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गुज़ारिश...
विरहन सी मैं भटकती
हटाएंटकराती फिर रही हूँ
जब श्याम वन से गुजरूँ
तुम लाज मेरी रखना
तुझको खबर रही है
नजरों से है क्यों ओझल
इस दौर से मैं गुजरूँ
विष्वास मेरा रखना
Bas ek wah!
Comment box nahee khul raha isliye yahan likh rahee hun! Maaf karen!
सुंदर प्रार्थना कृष्ण से........
जवाब देंहटाएंsundar geet.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव भरी प्रार्थना।
जवाब देंहटाएं//तुझको खबर रही है
जवाब देंहटाएंनजरों से है क्यों ओझल
इस दौर से मैं गुजरूँ
विष्वास मेरा रखना
bahut sundar..
बहुत अच्छी प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंइस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
अँधेरे से जब मैं गुजरूँ
जवाब देंहटाएंतुम श्याम देख लेना
ढूँढे से भी मैं पाऊँ
जब कोई किरण कहीं ना
तुम लाज मेरी रखना.
अब इस तरह की याचना ही कल्याण कर सकती है.
सुंदर प्रस्तुति. बधाई.
----आमीन ...प्रभु क्रपा करें कि श्याम सबकी लाज़ बचायें...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सृजन , सुन्दर भावाभिव्यक्ति .
जवाब देंहटाएंमैं आपके ब्लॉग को फालो कर चुका हूँ, अपेक्षा करता हूँ कि आप मेरे ब्लॉग"MERI KAVITAYEN" पर पधारकर मुझे भी अपना स्नेह प्रदान करेंगे .
बहुत सुंदर प्रस्तुति । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा अभिव्यक्ति!!
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