शनिवार, 29 फ़रवरी 2020

गीत अक्सर गुनगुनाया करो

ग़मगीन ही सही , जो तुम्हें पसन्द हो , वो गीत अक्सर गुनगुनाया करो 
वक़्त के साथ-साथ तुम भी तो मुस्कराया करो 

वक़्त के फेर में उलझ जाता है हर कोई 
तुम जरा वक्त से परे हो कर , ज़िन्दगी को सजाया करो 

कौन जाने कब बदल जायेगा मौसम का मिजाज 
तुम इस तरह भी फिजाँ को बुलाया करो 

आईना यूँ भी हम से कहता है , तू जो सोचता है 
दिखता है , खुद को यूँ भी न भुलाया करो 

आह से भी तो उपजता है गान 
गाने लगती है सारी कायनात , ये कभी न भुलाया करो 

तुम गुनगुनाओ के शब हो या सहर 
सूरज ने कभी छुट्टी न ली , उसे रोज बुलाया करो 

3 टिप्‍पणियां:


  1. जय मां हाटेशवरी.......

    आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
    आप की इस रचना का लिंक भी......
    01/03/2020 रविवार को......
    पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
    शामिल किया गया है.....
    आप भी इस हलचल में. .....
    सादर आमंत्रित है......

    अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
    http s://www.halchalwith5links.blogspot.com
    धन्यवाद

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  2. वक़्त के फेर में उलझ जाता है हर कोई
    तुम जरा वक्त से परे हो कर , ज़िन्दगी को सजाया करो
    बहुत भावपूर्ण सुन्दर प्रस्तुति,

    जवाब देंहटाएं

मैं भी औरों की तरह , खुशफहमियों का हूँ स्वागत करती
मेरे क़दमों में भी , यही तो हैं हौसलों का दम भरतीं