तुम मेरे हो के भी मेरे न हुए
हम तो बरसों-बरस अन्धेरे में रहे
साथ चलते हुए यूँ भी अक्सर
अजनबी भी बन जाते अपने
ये कैसे सफ़र पे हम तुम
दिन रात के फेरे से रहे
तुम मेरे हो के भी मेरे न हुए
हम तो बरसों-बरस अँधेरे में रहे
दिल लगाया तो चोट खाई भी
दिल है बड़ा सयाना तो सौदाई भी
हाय अपने ही न हुए हम
गैर के खेमे में डेरे में रहे
तुम मेरे हो के भी मेरे न हुए
हम तो बरसों-बरस अँधेरे में रहे
कौन चुनता है पग से काँटे
कौन बिछाता है राहों में फूल
ये किसी और ही दुनिया की बातें होंगी
हम जमीं पर इसी घेरे में रहे
तुम मेरे हो के भी मेरे न हुए
हम तो बरसों-बरस अँधेरे में रहे
हम तो बरसों-बरस अन्धेरे में रहे
साथ चलते हुए यूँ भी अक्सर
अजनबी भी बन जाते अपने
ये कैसे सफ़र पे हम तुम
दिन रात के फेरे से रहे
तुम मेरे हो के भी मेरे न हुए
हम तो बरसों-बरस अँधेरे में रहे
दिल लगाया तो चोट खाई भी
दिल है बड़ा सयाना तो सौदाई भी
हाय अपने ही न हुए हम
गैर के खेमे में डेरे में रहे
तुम मेरे हो के भी मेरे न हुए
हम तो बरसों-बरस अँधेरे में रहे
कौन चुनता है पग से काँटे
कौन बिछाता है राहों में फूल
ये किसी और ही दुनिया की बातें होंगी
हम जमीं पर इसी घेरे में रहे
तुम मेरे हो के भी मेरे न हुए
हम तो बरसों-बरस अँधेरे में रहे


20 टिप्पणियां:
बहुत सुंदर
क्या कहने
कौन चुनता है पग से काँटे
कौन बिछाता है राहों में फूल
ये किसी और ही दुनिया की बातें होंगी ..
बहुत खोब ... सच कहा है आज को कोई भी नहीं है जो ऐसा करे किसी के साथ ... कड़वी हकीकत से रूबरू करवाती रचना ..
बहुत खूबसूरती से संजोया है भावों को... आभार
बहुत सुन्दर शारदा जी...
सादर
अनु
सुन्दर प्रस्तुति..
ग़मगीन करते हुए जज्बाती शब्द बहुत खूब
bahut khoob...
वाह बेहद खूबसूरत शब्द रचना
सुंदर भावों की सफल प्रस्तुति ..
समग्र गत्यात्मक ज्योतिष
bahut pyari rachna....
सुन्दर भाव और सुंदर रचना
प्रेम दर्द व्यक्त करती ..
भाव भरी रचना...
तुम मेरे हो के भी मेरे न हुए
हम तो बरसों-बरस अँधेरे में रहे
वाह ... बेहतरीन प्रस्तुति।
बेहतरीन रचना
शSSSSSSSSSS कोई है
कौन चुनता है पग से काँटे
कौन बिछाता है राहों में फूल
ये किसी और ही दुनिया की बातें होंगी
खूबसूरत शब्द रचना...
अनुपम भाव संयोजन आज आपकी यह पोस्ट पढ़कर एक गीत याद आया
हेड या टेल प्यार मूहोब्बत दिल का खेल
इस खेल में कोई है पास-कोई है पास
तो जोई है फेल... :)
समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
http://mhare-anubhav.blogspot.co.uk/
इक तरफ थी रोशनी,इक तरफ था अंधेरा
कहीं बीच में भटकते फिरते थे हम-तुम!
बहुत खुबसूरत प्रस्तुति उम्दा ग़ज़ल
सुंदर नज़्म।
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